* कल्याणक तीर्थोद्धारक, शासन दिवाकर, पंजाब मार्तण्ड, गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्री मद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा, तप केसरी तपस्वी सम्राट आचार्य भगवन श्री मद् विजय वसंत सूरि जी म.सा आदि ठाणा 09 का 18 मार्च को जंडियाला गुरु में प्रवेश होगा। गोडवाड़ भूषण, ज्ञान प्रभाकर,स्वर्ण संत आचार्य श्रीमद् जयानन्द सूरी जी म.स. (भोले बाबा) जैतपुरा के पास हाथलाई में विराजमान है। दार्शनिक ज्योतिष सम्राट आचार्य श्री मद् विजय यशोभद्र सूरीश्वर जी म.सा आदि ठाणा श्री कावरा (छोटा उदयपुर) में विराजमान है।

Friday, 31 March 2017

गुरु आत्म के पाट परंपरा की दो धाराओं का एक साथ प्रवेश

गुरु वल्लभ समुदाय के गच्छनायक एवं आ.श्री लब्धि सूरि समुदाय के प्रभावक आचार्य भगवंतों का औरंगाबाद में होगा एक साथ प्रवेश

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1 अप्रैल शनिवार को औरंगाबाद में गुरु आत्म की दो पाट परंपरा के प्रभावक आचार्य भगवंतों का एक साथ मंगल प्रवेश का दृश्य संयोजित होने जा रहा है।

श्री आत्म कमल लब्धि विक्रम पाट परंपरा के शासन प्रभावक परम पूज्य आ.भ. श्रीमद् विजय यशोवर्म सूरि जी म.सा आदि श्रमण - श्रमणी ठाणा - 32 एवं

भ. श्री महावीर स्वामी के 77वें व श्री आत्म वल्लभ समुद्र इंद्र पाट परंपरा* के क्रमिक पट्टधर, गुरु वल्लभ समुदाय के गच्छाधिपति शांतिदूत आ.भ.श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी म.सा. आदि ठाणा का औरंगाबाद नगर में एक साथ प्रवेश होगा।

गुरु आत्म की इन दो पाट परंपरा के प्रभावक पूज्यों के एक साथ प्रवेश की तैयारियों में औरंगाबाद संघ दिलो जान से जुटा हुआ है।

आ.श्री यशोवर्म सूरि जी म.सा मालेगांव की और से विहार करते हुए तथा ग. आ.श्री नित्यानंद सूरि जी म. सा आदि श्रमण श्रमणी ठाणा - 11 हैदराबाद की और से विहार करते हुए 1 अप्रैल को औरंगाबाद पहुँच रहें हैं।

ज्ञात रहे कि गुरु आत्म के कालधर्म के पश्चात् अनेक पाट परंपरा प्रचलित हुई और सभी अपने मूल आत्माराम जी से जुड़ कर गुरु परंपरा का निर्वाह कर शासन की प्रभावना कर रहे हैं।

पालीताना आयोजित तपागच्छिय श्रमण सम्मेलन के बाद यहां पर एक वर्ष के बाद दोनों धाराओं का प्रेमपूर्ण मिलन होगा।

सब का मूल एक है।
सबकी आत्मा आत्म है।

Wednesday, 29 March 2017

प्रथम बार महाराष्ट्र के वाहे गांव में जैन संतों का हुआ आगमन

सम्पूर्ण देश में विचरण कर जिनशासन की अपूर्व सेवा और प्रभावना करने वाले भगवान महावीर की अक्षुण्ण पाट परंपरा के 77वें पट्टधर, पंजाब केसरी गुरु वल्लभ के समुदाय के वर्तमान गच्छनायक शांतिदूत आचार्य देव श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी म.साआदि श्रमण श्रमणी वृन्द महाराष्ट्र में औरंगाबाद की और विहार में आगे बढ़ रहे हैं। 28 मार्च को गुरुदेव वाहे गाँव पधारे। गच्छनायक गुरुदेव के शिष्य मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी म. के शिष्य बालमुनि श्री मोक्षेश विजय जी म. का ये सांसारिक पैतृक गांव हैं। इस गाँव में आज तक किसी जैन संतों का पधारना नही हुआ।
 किंतु आज गांववासी उस बालमुनि को देखने के लिए उत्सुक थे जिसका सम्बन्ध इस भूमि से जुड़ा हुआ था। बालमुनि और उनके सांसारिक पारिवारिकजन भी अत्यंत हर्षित थे क्योंकि गुड़ी पड़वा यानि नव वर्ष के दिन अपने दादा गुरु जी, गुरु जी और अन्य साधु साध्वीवृन्द सहित दीक्षा के बाद प्रथम बार पैतृक गांव में पधारना हो रहा था।
गाँव में रहने वाले सभी धर्म जाति के लोग जैन संतों को निहारने और स्वागत करने के लिए सुबह से ही अपलक पांवड़े बिछा कर प्रतीक्षा कर रहे थे।
गुरुदेव ने कहा कि धन्य हुआ ये गांव और यहां की भूमि जहाँ पर आज संत पधारे हैं। जहां संतो ने चरण न पड़ें वो स्थान श्मशान के समान हैं और जिस भूमि पर संत पधारें वो भूमि पवित्र तीर्थ बन जाती है।
गुरुदेव ने गांव वासियों को शाकाहार अपनाने और मद्यपान, व्यसन आदि त्याग करने की प्रेरणा दी। गुरुदेव ने कहा कि बालमुनि का अपने सांसारिक पैतृक गांव में अनायास आगमन एक संयोग ही है। परिवारिकजनों ने पारंपरिक रीति से संतों का स्वागत किया और काम्बली ओढ़ाई। पगलिया करवाया।

Saturday, 25 March 2017

वल्लभ वाटिका बुलेटिन

🔆 वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी आदि ठाणा 7 एवं साध्वी पूर्णप्रज्ञा श्री जी आदि ठाणा 4 दिनांक 1 अप्रैल 2017 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में विराजमान रहेंगे।

🔆 तपसूर्य आचार्य विजय वसंत सूरीश्वर जी आदि ठाणा 2 विजय वल्लभ स्मारक, दिल्ली में विराजमान हैं। गुरुदेव के अखण्ड 49वें वर्षीतप का पारणा अक्षय तृतीया 29 अप्रैल 2017 को हस्तिनापुर की भूमि पर होगा।

🔆 ज्योतिष विशारद आचार्य विजय यशोभद्र सूरीश्वर जी आदि ठाणा 2 गुजरात में अहमदाबाद से मेहसाणा की ओर विहार में हैं।

🔆 ज्ञानप्रभाकर आचार्य विजय जयानंद सूरीश्वर जी आदि ठाणा 3 बीकानेर क्षेत्र में विराजमान हैं। कल गुरुदेव का भव्य नगर प्रवेश बीकानेर में होगा। मुनि जयकीर्ति विजय जी की जन्मभूमि भी बीकानेर ही है।

🔆 पंन्यास चिदानंद विजय जी, मुनि लक्ष्मीचंद्र विजय जी आदि ठाणा ध्यान साधना के उद्देश्य से आचार्य विजय जनकचन्द्र सूरि जी की कालधर्म भूमि - ईडर (गुजरात) में विराजमान हैं।

🔆 कार्यदक्ष गणि राजेंद्र विजय जी, मुनि धरणेन्द्र विजय जी आदि ठाणा गुरु वल्लभ जन्मभूमि - बड़ौदा (गुजरात) में विराजमान हैं।

🔆 हस्तरेखा-ज्ञाता पंन्यास धर्मशील विजय जी, मुनिराज रविंद्र विजय जी आदि ठाणा 3 की निश्रा में ओली की आराधना बोडेली (गुजरात) में करवाई जाएगी।

🔆 जैनसाइटप्रणेता मुनि भाग्यचंद्र विजय जी आदि ठाणा 2 एवं साध्वी शीलधर्मा श्री जी आदि ठाणा 4 की निश्रा में चेन्नई के समीपवर्ती आत्म वल्लभ नगर, नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ, तन्डलम में 3 से 11 अप्रैल 2017 को चैत्र मास की नवपद ओली की आराधना करवाई जाएगी।

🔆 संयम स्थविरा साध्वी देवेंद्र श्री जी, साध्वी शासनज्योति श्री जी आदि ठाणा मेवाड़ क्षेत्र के अंटाली तीर्थ में आचार्य पुण्यरत्न सूरीश्वर जी के सानिध्य में होने जा रहे प्रतिष्ठा महोत्सव में उपस्थित रहेंगी। 15 दिन महोत्सव पूर्वक 20 अप्रैल 2017 को यह प्रतिष्ठा संपन्न होगी।

🔆 शासनरत्ना साध्वी प्रगुणा श्री जी, साध्वी प्रियधर्मा श्रीजी आदि ठाणा 4 बड़ौत क्षेत्र में धर्मस्पर्शना करते हुए कल्याणक भूमि - श्री हस्तिनापुर महातीर्थ पधारे हैं एवं यहाँ स्थिरता करेंगे।

🔆 सरल स्वभावी साध्वी चन्दनबाला श्री जी, साध्वी धर्मरत्ना श्री जी आदि ठाणा बोडेली से विहार कर भगवानपुरा आदि क्षेत्रों की स्पर्शना करते हुए पिपारिया (जिला बड़ौदा) गुजरात पधारे एवं कुछ दिन की स्थिरता करेंगे।

🔆 सरल स्वभावी साध्वी यशोभद्रा श्री जी, साध्वी प्रीतिदर्शिता श्री जी आदि ठाणा पटियाला (पंजाब) में विराजमान हैं। साध्वीद्वय का आगामी चातुर्मास होशियारपुर में होगा।

🔆 विदुषी साध्वी चंद्रयशा श्री जी, साध्वी पुनीतयशा श्री जी आदि ठाणा श्री विमलनाथ जी की कल्याणक भूमि - कम्पिलपुरी (उत्तर प्रदेश) में विराजमान हैं एवं साध्वी जी की निश्रा में आगामी माह शाश्वती नवपद ओली की भव्य आराधना भी करवाई जाएगी।

Thursday, 23 March 2017

जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

चैत्र वदि दशमी गोडवाड़ भूषण, स्वर्ण संत, भोले बाबा आचार्य देव श्रीमद् विजय जयानंद सूरि जी महाराज साहिब के 64वें जन्मदिवस पर वल्लभ वाटिका एडमिन टीम एवं समस्त गुरुभक्तों की और से हार्दिक शुभकामना एवं कोटि कोटि वंदन, आप श्री जी ऐसे ही संयम पथ पर आगे बढ़ते हुए जिनशासन के कार्यों को बढ़ चढ़ कर करते रहे, शासनदेव से ऐसी मंगल प्रार्थना 

Tuesday, 21 March 2017

*वल्लभ वाटिका नित्य विहार दर्शन*
★★★★★★★★★★★★★★★

*दक्षिण से उत्तर भारत* की और बढ़ते हुए अनेक राज्यों में धर्म प्रभावना तथा शासन सेवा के कार्यों का कीर्तिमान स्थापित करते हुए *पंजाब केसरी गुरु वल्लभ समुदाय के गच्छाधिपति आचार्य देव श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी म. सा.आदि ठाणा* ने आज कर्नाटक राज्य की सीमा पूरी की और महाराष्ट्र में प्रवेश किया ।

*लातूर जैन श्रीसंघ की विनंती पर पूज्य गुरुदेव 24 मार्च को सुबह लातूर पधारेंगे।*

Wednesday, 15 March 2017

जिज्ञासा 4

"स्थापनाचार्य का रहस्य"

श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संप्रदाय के किसी भी साधु साध्वी जी के पास चले जाओ, सभी के पास स्थापनाचार्य जी दिखाई देते हैं। वो सभी क्रिया स्थापनाचार्य के आगे ही करते हैं। लेकिन क्या हमने कभी विचार किया कि आखिर ऐसा क्यों??

एक व्यक्ति विश्व में किसी से भी झूठ बोल सकता है लेकिन अपने गुरु से झूठ नहीं बोल सकता। उनमें भी उपकारी वडील गुरु भगवंतों के समक्ष व्यक्ति कुछ भी गलत नहीं कर सकता है। 

साधु साध्वी जी उस हेतु से भगवान् महावीर स्वामी जी के पांचवे गणधर शिष्य एवं पहले पट्टधर गुरुदेव - श्री सुधर्म स्वामी जी की साक्षी से ही सब क्रियाएं करते हैं। वर्तमान का समग्र श्रमण परिवार उनकी ही संतान है इसलिए अपने वडील गुरुदेव की साक्षी में ही सब क्रिया की जाती है।

वे स्थापनाचार्य ही नहीं, बल्कि साक्षात् सुधर्म स्वामी जी हैं, इस भाव से साधु साध्वी जी भगवंत रहते हैं। गलती से भी गलती न हो जाये और सामने गुरु हमेशा दिखाई देते रहे, उनके अस्तित्व की अनुभूति महसूस की जाये, ऐसा चिंतन हमारे साधु साध्वी जी का होता है।

स्थापनाचार्य के अंदर क्या होता है?
स्थापनाचार्य जी के अंदर तीर्थंकर की प्रतिमा, छोटी माला आदि कई सामग्रियां हो सकती हैं। लेकिन जो मूल रूप से स्थापनाचार्य जी में होते हैं - वह है पांच दक्षिणावर्ती शंख !

गणधर सुधर्म स्वामी जी के देह पर 5 दक्षिणावर्ती शंख (उत्तम जाति के शंख) के चिन्ह थे और वो परमात्मा के पांचवे गणधर ही थे! इस निमित्त से 5 शंख रखकर सुधर्म स्वामी जी स्थापित हैं, ऐसा अटूट विश्वास रखा जाता है।

हम भी जब सामायिक प्रतिक्रमण करते हैं (करना तो प्रतिदिन ही चाहिए लेकिन कम से कम संवत्सरी पर तो सब ही करते हैं), क्या हम स्थापना जी में परम उपकारी गुरुदेव सुधर्म स्वामी जी की अनुभूति करते हैं? यदि वह अनुभूति होगी तो हर खमासमण देते हुए गुरु सामने खड़े हैं और हम उनका विनय कर रहे हैं, ऐसे विचार खुद-ब-खुद आएंगे और फिर क्रिया बोरिंग न रहकर संयम धर्म के प्रति अहोभाव का कारण बनेगी।


(पंन्यास चिदानंद विजय जी के प्रवचनों से संगृहीत )
जैन एकता का शंखनाद 

सिकंदराबाद में पंजाब केसरी गुरु वल्लभ समुदाय के गच्छनायक शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी महाराज की निश्रा में आयोजित ऐतिहासिक *संक्रांति समारोह में विभिन्न सम्प्रदायों और गच्छ - परंपरा के प्रभावक संतों द्वारा जैन एकता का शंखनाद*...

Tuesday, 14 March 2017

जिज्ञासा 3

"जैन पद्धति अनुसार सुबह कैसे उठना ?"


1. सर्वप्रथम अपने दोनों हाथों को मिलाकर उनके दर्शन करने चाहिए। चन्द्रमा रुपी सिद्धशिला के ऊपर विराजमान 24 तीर्थंकर की कल्पना कर उन्हें नमस्कार करना चाहिए।

2. परमात्मा की तरह हमारे भी सभी आठों कर्म क्षय ( ख़त्म ) हों, इस भावना से कम से कम 8 नवकार मन्त्र गिनने चाहिये।

3. नाक की जिस नली(Right or left) से श्वास अधिक आता हो, वह (right या left) पैर ज़मीन पर पहले रखना। यह स्वरोदय विज्ञान अनुसार है।

4. घर में इस प्रकार व्यवस्था करनी की सुबह उठते साथ कभी झाड़ू और जूते-चप्पल के दर्शन न हों । 

5. भगवान की प्रतिमा/फ़ोटो के आगे णमो जिणाणं कहकर गुरु की प्रतिमा / फ़ोटो के आगे विनयपूर्वक मत्थएण वंदामि कहना चाहिए

6. प्रातः काल वेला में यदि कोई शुभ स्वप्न देखा हो तो वह सीधे ही परमात्म प्रतिमा के समक्ष कह देना चाहिए। अशुभ स्वप्न देखे जाने पर मौनपूर्वक उसे भुला देना चाहिए।

7. अपने माता पिता के चरण स्पर्श करने चाहिए अथवा उनकी फ़ोटो के आगे शीश झुकाना चाहिए।

8. नवकारसी का पच्चक्खान अवश्य करना चाहिए। सूर्योदय से 48 मिनट तक कुछ न खाना पीना ही नवकारसी है जो बहुत ही आसानी से किया जा सकता है ।

9. सुबह उठने के साथ ही मोबाइल फ़ोन प्रयोग करना, टीवी देखना, समाचार पत्र पढ़ना आदि प्रवृत्तियों से परहेज़ रखना चाहिए। सुबह समय से उठ जाना चाहिए।

10. रोज़ सुबह यह विचार करना चाहिए की आज मुझे क्या क्या विशेष कार्य करना है। रात्रि में सोते समय विचार करना की आज मेरे द्वारा सोची गयी लिस्ट में से कितना काम ही मैं कर पाया। दिनभर में किये गए क्रोध एवं पापकार्य का विचार भी रात्रि विश्राम से पूर्व करना चाहिए।

( साध्वी प्रियधर्मा श्री जी म.सा. के प्रवचनों में से संग्रहित )
हैदराबाद में विभिन्न संघों में
 शांतिदूत गच्छनायक गुरुदेव का आगमन - मंगल प्रवेश तथा स्वागत

*पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरि जी समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा* आदि ठाणा आज  सुबह एल बी नगर से विहार कर पहले चैतन्यपुरी पधारे वहां श्री वासुपूज्य स्वामी जिनमंदिर में दर्शन किये । वहां से 8 km विहार कर बेगम बाजार पधारे। वहां अत्यंत प्राचीन श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनमंदिर के दर्शन कर संघ को मंगलीक सुना कर वहां से  फीलखाना पधारे। वहां श्री महावीर स्वामी जिनमंदिर के दर्शन किये । वहां से गोशामहल जैन संघ में पधारे।

श्रीसंघ ने समैया किया गाजते बाजते मंगल प्रवेश के उपरांत गुरुदेव ने श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनमन्दिर के दर्शन किये। तत्पश्चात् प्रवचन सभा का आयोजन हुआ। प्रवचन में गुरुदेव ने फ़रमाया कि आज चौमासी चौदस का महान पर्व दिन है । पर्व प्रेरणा के प्रतीक तथा सम्यग आराधना - उपासना - साधना  के विशेष अवसर होते हैं । इन प्रसंगों पर हमें सांसारिक कार्यों को गौण कर तप जप आराधना करनी चाहिए।

संघ के सदस्यों ने यहां बनने वाले शिखबद्ध जिनमंदिर हेतु आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त किया। दिन भर स्थिरता कर शाम को विहार करते हुए गुरुदेव कोठी मंदिर पहुंचें वहां श्री आदिनाथ जिनमंदिर के दर्शन किये । वहां से पूज्यश्री विहार कर पुनः चैतन्य पूरी पधार गये और वहां चौमासी प्रतिक्रमण किया।
 12 मार्च को सुबह वहां गुरु शांति मंदिर में मंगल प्रवेश हुआ । प्रवचन तथा पूजा आदि कार्यक्रम हुआ । सकल संघ के स्वामी वात्सल्य का आयोजन भी किया गया । वहां से शाम को विहार कर जिनेश्वर धाम दर्शन करते हुए हिमायत नगर पहुंचे। पीह निवासी श्री स्वरुप चंद जी कोठारी परिवार के द्वारा स्वागत किया गया और रात्रि स्थिरता भी उनके निवास स्थान पर हुई ।

13 मार्च को वहां से विहार कर सिकंदराबाद में डी वी कॉलोनी में पधारे वहां पर भी प्रवेश और वहां से  कंचन बाजार स्थित जैन भवन में प्रवेश और प्रवचन हुआ । शाम को श्री रणजीत चौधरी के निवास स्थान पर प्रवेश हुआ और वही रात्रि स्थिरता हुई ।

आज 14 मार्च  को सिकंदराबाद में बांठिया गार्डन में संक्रांति है। संक्रांति समारोह में श्री प्रेम- भुवनभानु सूरि समुदाय के पंन्यास श्री चंद्रशेखर विजय जी म.सा के प्रधान शिष्य आ.श्रीमद् विजय चंद्र जीत सूरि जी म.आदि ठाणा तथा स्थानकवासी श्रमण संघीय उपाध्याय श्री प्रवीण ऋषि जी महाराज आदि ठाणा भी पधारने वाले हैं।

14 शाम की स्थिरता गुरुदेव की श्री रमेश जी चौधरी के निवास स्थान पर रहेगी।

15 मार्च से सूरत गुजरात की और विहार प्रारम्भ होगा।


संक्रांति नाम

पंजाब  केसरी आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि जी समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरि जी महाराज साहिब के मुखारविंद से....


Sunday, 12 March 2017

जिज्ञासा (2)

"मौन एकादशी"

प्रवचनकार - शांतिदूत गच्छनायक आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी
एक बार बाइसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ परमात्मा द्वारिका नगरी पधारे। तब वासुदेव श्री कृष्ण भी दर्शन वन्दन हेतु पधारे। श्रीकृष्ण ने प्रश्न किया - भंते ! मैं दिन रात राज कार्यों में व्यस्त रहता हूँ । इसलिए धर्माराधना का विशेष समय नही मिल पाता । क्या पुरे वर्ष में ऐसा कोई दिवस है। जिसपर की गयी कम आराधना भी ज़्यादा फल प्रदान करे ❓

करुणानिधान श्री नेमिनाथ जी ने फ़रमाया कि ✔ मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का दिन बहुत श्रेष्ठ और उत्तम दिन है और उस दिन मौनपूर्वक की गयी धर्माराधना महान् फल देती है । सुव्रत नामक सेठ ने इस मौन एकादशी की विधिपूर्वक आराधना की थी और चरम और परम लक्ष्य - मोक्ष गति को प्राप्त किया था !!!

मौन एकादशी के शुभ दिवस पर

🎊 श्री अरनाथ परमात्मा का दीक्षा कल्याणक
🎊 श्री मल्लिनाथ परमात्मा का जन्म , दीक्षा , केवलज्ञान कल्याणक
🎊 श्री नमिनाथ परमात्मा का केवलज्ञान कल्याणक होता है ।

यही नही , भूतकाल - वर्तमानकाल - भविष्यकाल के जम्बूद्वीप - धातकीखंड और पुष्करार्ध द्वीप के भरत-ऐरावत-महाविदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों को मिलकर दस नही , बीस नही , चालीस नही , सत्तर नही .... डेढ़ सौ ( 1⃣5⃣0⃣ ) कल्याणक मौन एकादशी के दिन होते हैं । इस कारण की गयी थोड़ी सी भी धर्म आराधना अनेक गुणा फल देती है ।

♈वल्लभ ♈ वाटिका के आद्य प्रेरणास्त्रोत पंजाबकेसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म. ने अपने स्तवन में लिखा है -

तीन काल के श्री भगवान् , संख्या में तीस बखान ।
*कल्याणक डेढ़सौ मान , एकादशी महिमा गाने वाले ... *
धन धन नेमिनाथ भगवान् ।।
इस कारण महिमा खास , करे मौन पणे उपवास।
पौषध विधि सह उल्लास , मौन एकादशी करने वाले ...
धन धन नेमिनाथ भगवान ।।

श्री आचारांग सूत्र में फ़रमाया गया है -
" जे सम्मम् ति पासहा ते मोणं ति पासहा "
अर्थात् - जिसने सम्यक्त्व का स्पर्श कर लिया है , जिसका मन सम्यग्दर्शन में रम गया है , उसका मन मौन में रमण करता है !! मौनी मन को मारता नही, मन को साधता है।

वाक्शक्ति के सुनियोजन के अद्वितीय उदाहरण , मौन साधक , विरल विमल विभूति , आचार्यरत्न श्रीमद् विजय समुद्र सूरीश्वर जी म. का जन्म भी मौन एकादशी के पावन पावस दिवस पर हुआ था।

अतः मौन एकादशी को हम भी जितना हो सके पौषध की साधना अथवा जिनेन्द्र पूजा, स्वाध्याय, काउसग्ग, तपस्या आदि करें और विधिपूर्वक मौन एकादशी की आराधना कर मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर हों, यही भावना.....

जिज्ञासा (1)

"सव्व-पावप्प-णासणो"


🎀 नवकार मन्त्र में कहा गया है कि पांचों परमेष्ठी को वन्दन करने से सभी पापो का नाश होता है। यह विचारणीय बात है कि वहां ऐसा नहीं कहा कि इससे पुण्य का बन्ध होता है!! पाप का नाश हो , यह अलग बात है और पुण्य बंधे - यह अलग बात है। परमात्मा ने पुण्य बाँधने पर इतना बल नहीं दिया बल्कि पाप के त्याग पर अधिक बल दिया है।

🎀 प्पणासणो का मतलब नाश नहीं , बल्कि प्रनाश है। पञ्च परमेष्ठी को वन्दन करने से पापों का नाश नहीं, बल्कि प्रनाश होता है। प्रनाश यानि जड़ मूल से खत्म होना। बीज को उखाड़ने पर वह पुनः उग सकता है लेकिन जड़ से खत्म करने पर नहीं उग सकता। उसी तरह पापों को जड़ मूल से खत्म करने का काम पञ्च परमेष्ठी को किया गया भावपूर्वक वन्दन करता है।


🎀 परमात्मा ने ऐसा नहीं कहा कि दुखों का नाश हो, परमात्मा ने कहा है कि पापों का नाश हो। हम दुखों को खत्म करने का सोचते हैं लेकिन वो दुःख क्यों होते हैं, उनका कारण क्या है, उनके कारण को खत्म करने का नहीं सोचते। पापों का नाश होगा तो दुखों का नाश स्वतः हो जायेगा जबकि दुखों का नाश से पापों का नाश हो जाये, ऐसा ज़रूरी नहीं है। हमारा लक्ष्य पापों का नाश होना चाहिए।


-- पंन्यासप्रवर श्री चिदानंद विजय जी म. के प्रवचनों से संग्रहित। .. 

Saturday, 11 March 2017

तुमरी शरण में आयो री...

मुनिराज मोक्षानंद विजय जी महाराज की आवाज़ में... जरुर सुनें।

Friday, 10 March 2017

वर्षीतप विशेष

चलो वर्षीतप करें.....

प्रत्येक श्रावक श्राविका को जीवन में भावपूर्वक तपस्या करनी चाहिए। इस वर्ष हम सभी को सामूहिक वर्षीतप करने का आह्वान करते हैं।

अखण्ड प्रेरणा के स्त्रोत 
समुदायवडील, वचनसिद्ध, तपसूर्य, तपचक्रवर्ती आचार्य श्रीमद विजय वसंत सूरीश्वर जी म.सा.

गुरुदेव का परिचय
पूज्य गुरुदेव ने मात्र 9 वर्ष की आयु में पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी से दीक्षा ग्रहण की थी। शुरू से ही वे तपस्या में रूचि रखते थे। बीते 49 वर्षों से वो बिना रूकावट वर्षीतप की तपस्या कर रहे हैं। यह वर्तमान में जैनशासन का रिकॉर्ड है। वल्लभ समुदाय के गच्छाधिपति आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी भी फरमाते हैं कि उनकी ऊर्जा का स्रोत भी उनके उपकारी गुरु वसंत की तप तेजस्विता है।

वर्षीतप का रिकॉर्ड 
पूज्य गुरुदेव अभी 49वां अखण्ड वर्षीतप कर रहे हैं जिसका इस वर्ष 29 अप्रैल 2017 को हस्तिनापुर की पुण्यभूमि पर पारणा होगा। विविध शारीरिक वेदनाओं के बावजूद भी वे वर्षीतप की तपस्या को चालू रखेंगे एवं इस वर्ष 50वें वर्षीतप की तपस्या प्रारम्भ करेंगे।

वर्षीतप का इतिहास 
इस युग के प्रथम मुनि एवं प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी को दीक्षा के एक वर्ष तक उनके अंतराय कर्म के कारण शुद्ध आहार नहीं मिला। उनके 400 दिनों की निराहार तपस्या का पारणा हस्तिनापुर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की भूमि पर श्रेयांस कुमार द्वारा इक्षुरस (गन्ने का रस) से हुआ था। परमात्मा की तपस्या के प्रतिबिम्ब स्वरुप पंचम काल के मानव की शक्ति अनुसार आहार संज्ञा के नाश हेतु एकान्तरे उपवास की वार्षिक तपस्या रूप वर्षीतप किया जाता है।

हमारा कर्तव्य
गुरुदेव तो तप की तेजस्विता से आत्मा को शुद्ध कर रहे हैं। हमें भी उस मार्ग का अनुसरण कर गुरुदेव के पदचिन्हों पर चलते हुए उनकी दीर्घायु की कामना करते हुए आत्मा की शुद्धि के लिए सामूहिक वर्षीतप प्रारम्भ करना चाहिए।

वर्षीतप का प्रारंभ चैत्र वदी 8 तदनुसार 21 मार्च 2017 से होगा। भावना बल से मन को सुदृढ़ कर वर्षीतप चालू करने की भावना रखें।

50 वें संयम वर्ष अनुमोदनार्थ..




*आज फाल्गुन सुदी तेरस*
शत्रुंजय गिरिराज पर *छ गाउ यात्रा का महान दिन*



यात्रा कीजे शत्रुंजय भावधारी,
होवे शत्रुंजय द्रव्य भाव अरी ।।
सत्द्रव्य, सत्कुल, सिद्धक्षेत्र, समाधि संघ वखानीय।
दुर्लभ पांच सकार ये जग में भविजन मानिये।।
सिद्धक्षेत्र अन्नति ऋद्धि भरी।। यात्रा०

पात्र पर्वत पुंडरीक अरु प्रथम जिनेसरु।
पर्व पर्युषण अरु परमेष्ठी पावन ईसारु।।
जानो दुर्लभ पांच पकार हरी।। यात्रा०

शिवपुर नदी शत्रुंजय श्रीशांति शत्रुंजय शमी।
दुर्लभ पांच शकार जानी करो धर्म न हो कमी।।
कहे वीर वीर प्रभु हरि मुख्य करी।। यात्रा०

अनन्त हुए श्री सिद्ध यहाँ पर सिद्धगिरी इस कारणे।
विमलगिरीवर विमल करता अग्रपद है तारणे।।
नमिये वारंवार प्रभु के पांव परी।। यात्रा०

तीर्थस्वामी मोक्षगामी आदि जिनवर वंदिये।
आतम लक्ष्मी हर्ष पामी कर्म कंद निकन्दीये।।
होये मुक्ति वल्लभ शिवनारी वरी।। यात्रा०



गिरिराज यात्रा गुरुराज के संघ
*स्वर्णिम स्मृति -2016*


Thursday, 9 March 2017

समुदाय वडिल के चरणों में पहुंचें श्रुतभास्कर गुरुदेव



पंजाब केसरी आचार्य श्री विजय वल्लभ सूरि म.सा के  समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी के आज्ञानुवर्ती

49वें वर्षीतप के आराधक, समुदायवडील आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय वसंत सूरीश्वर जी म.सा की सुखशाता पृच्छा हेतु कल दिनांक 8 मार्च 2017 शाम को श्रुतभास्कर आचार्य श्रीमद् विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी महाराज विजय वल्लभ स्मारक, दिल्ली में पधारे।

ज्ञात रहे कि इस वर्ष गच्छाधिपति शांतिदूत आचार्य भगवंत का समुदाय के अनेक पदस्थ अपदस्थ मुनियों के साथ वल्लभ स्मारक में ही चातुर्मास निश्चित हुआ है।


🌞🌞🌞संक्रांति सूचना🌞🌞🌞

सूरत गुजरात में होगी अप्रैल माह की संक्रांति
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पंजाब केसरी आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि जी समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा आदि ठाणा की अप्रैल माह की संक्रांति सूरत (गुजरात) में दिनांक 13 अप्रैल 2017 को होगी।

संक्रांति पर आने वाले गुरु भक्त और आगंतुक इस सुचना को note करें।

*संपर्क सूत्र :- 09426344818* (भरत भाई शाह)

Monday, 6 March 2017

गच्छनायक शांतिदूत गुरुदेव की दो वर्षों से गतिमान तपाराधना
अनुमोदना, अनुमोदना


50 वर्षों के संयम जीवन में जिनशासन की अपूर्व सेवा और प्रभावना कर रहे पंजाब केसरी गुरु वल्लभ समुदाय के गच्छनायक शांतिदूत आचार्यदेव श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी महाराज साहेब का व्यक्तित्व और कृतित्व बड़ा ही प्रभावपूर्ण, प्रेरणादायी तथा प्रशंसनीय है।

सदा आत्मीय स्नेह - सद्भाव के सागर में आनंदमग्न रहकर शांत प्रशांत भाव से कार्यशील रहकर  रत्न त्रय की साधना में जो सतत् संलग्न हैं ऐसे उपकारी गुरुदेव पिछले 2 वर्षों से 10 द्रव्य सहित एकासना तप कर रहे हैं।

एकासना करने में कभी 3 बजे तो कभी 5 भी बज जाते हैं । कभी 30 km तो कभी 35 - 40 km भी विहार आदि करना होता है। किंतु अत्यंत शांत भाव से तपस्या करते हुए गुरुदेव जप - तप में लीन हैं।

ऐसे सौम्यमूर्ति गुरुदेव के चरणों में अनुमोदना पूर्वक कोटि कोटि वन्दन व तपस्या की साता पूछते हैं।


Sunday, 5 March 2017

Vallabh Vatika News

पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरि समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति
आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद जी म.सा द्वारा प्रतिष्ठित



श्री नमिनाथ जिनालय,झोटवाड़ा का दो दिवसिय ध्वजा परिवर्तन महोत्सव धूमधाम से संपन्न हुआ। श्रावक-श्राविकाओं का उत्साह देखते ही बनता था, जिसे शब्दों में बयान नही किया जा सकता। विधिकारक द्वारा एक एक पूजा व्याख्या सहित... और संगीतकार भी ऐसे कि उसके हर स्वर लहर से हर कोई नृत्य को तैयार।

गच्छाधिपति शांतिदूत जी ने इस अवसर पर झोटवाड़ा संघ को आशीर्वाद और शुभकामना सन्देश प्रेषित किया।

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   संत समागम संतों का स्वागत
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आँध्र प्रदेश में जब  पूज्य गच्छाधिपति गुरुदेव शांतिदूत जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरि जी महाराज के आगमन हुआ था तब वहाँ की स्थानीय तेलगु जनता ने भारतीय परंपरा का आदर्श उपस्थित कर गुरुदेव का भावभीना स्वागत किया था।

गुरुदेव ने कहा कि संत किसी धर्म जाति या संप्रदाय विशेष के नही होते । संत तो सबके होते हैं । संत सांझे होते हैं । यहां की स्थानीय तेलगु जनता के निवेदन पर गुरुदेव वहां चल रहे गणपति मंदिर में प्रतिष्ठा प्रसंग पर उपस्थित हुए और सभी को आशीर्वाद देकर शाकाहार जीवन पध्दति जीने का संदेश दिया। जैन धर्म , जैन संतों से अपरिचित यहां के तेलगु लोगों ने जैनाचार्य शांतिदूत गुरुदेव का पारंपरिक रीति से शहनाई ढोल बजाकर स्वागत किया।

आज गुरुदेव ने आंध्र प्रदेश की सीमा पूरी कर तेलंगाना राज्य में प्रवेश किया है।

Saturday, 4 March 2017

गुरु नित्यानंद के नाम से आनंद घन बरसे..
जहा जहा आपके चरण पढे जनमानस हर्षे..
अदभुत छवि अदभुत कार्य अदभुत है ये नाम..
हृदय में बसा कर देख लो होंगे सब पूर्ण काम।


Friday, 3 March 2017

Vallabh Vatika Bulletin

श्री आत्म-वल्लभ-समुद्र-इंद्रदिन्न-नित्यानंद सूरीश्वर जी म.सा की आज्ञानुवर्तिनी 

शासनरत्ना साध्वी प्रगुणा श्री जी म., मृदुभाषी साध्वी प्रियधर्मा श्री जी म. आदि ठाणा 4 उत्तरप्रदेश में बड़ागांव में 3 दिन की स्थिरता पश्चात कल दिनांक 4 मार्च को बागपत पहुंचेंगे। बड़ौत श्री संघ की विनती को स्वीकार करते हुए साध्वी वृन्द का 6 मार्च 2017 को गच्छाधिपति जी युक्त सपरिवार की दीक्षा भूमि - बड़ौत में आगमन होगा।

विदुषी साध्वी चंद्रयशा श्री जी एवं साध्वी पुनीतयशा श्री जी आदि श्री विमलनाथ जी की कल्याणक भूमि - श्री कम्पिलपुरी तीर्थ (उ.प्र.) में विराजमान हैं। आज उनकी निश्रा में जिनमंदिर जी में वर्द्धमान शक्रस्तव सह शांतिधारा युक्त 18 अभिषेक संपन्न हुए एवं कल वार्षिक ध्वजारोहण संपन्न होगा।

सरल स्वभावी साध्वी प्रीतिरत्ना श्री जी, साध्वी प्रीतिसुधा श्री जी आदि ठाणा 3 गुजरात के जामनगर जिले मेंधर्मदेशना देते हुए विचरण कर रहे हैं। साध्वी जी की निश्रा में आगामी माह में भूगर्भ से प्राप्त प्रतिमाओं की जिनमंदिर में स्थापना का कार्यक्रम भव्य रूप से संपन्न होगा।

स्वाध्यायरसिक साध्वी सिद्धप्रज्ञा श्री जी, साध्वी हितप्रज्ञा श्री जी आदि ठाणा 3 स्वाध्याय के उद्देश्य से श्री विजय वल्लभ साधना केंद्र, जैतपुरा में विराजमान हैं। साध्वी वृन्द का आगामी चातुर्मास कुचेरा (राज.) में संपन्न होगा।

दर्शनं देव देवस्य, दर्शनं पाप नाशनं..
दर्शनं स्वर्ग सोपानं, दर्शनं मोक्ष साधनं..


Thursday, 2 March 2017

वल्लभ वाटिका समाचार

तपागच्छीय श्री विजय वल्लभ सूरीश्वर जी समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति, शांतिदूत आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी की आज्ञानुवर्तिनी

शासनरत्ना साध्वी अमितगुणा श्री जी म. सा
(गच्छाधिपति जी की सांसारिक रत्नकुक्षि माताजी) आदि ठाणा का


आज श्री ओस्तरा पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ, श्री सर्वतोभद्रम तीर्थ, ओस्त्रा (जिला जोधपुर, राजस्थान) में आगमन हुआ। साध्वीवृन्द की निश्रा में 6 मार्च 2017 को विजय मुहूर्त में श्री पार्श्वनाथ पंचकल्याणक पूजा पढ़ाई जायेगी। तत्पश्चात 8 मार्च 2017 को जिनमंदिर जी के प्रतिष्ठा वर्षगांठ पर वार्षिक ध्वजारोहण संपन्न होगा।

ज्ञातव्य है कि *ओस्त्रा पार्श्वनाथ तीर्थ की पावन प्रतिष्ठा वल्लभ समुदाय के रत्नत्रयी - आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी, आचार्य विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी एवं आचार्य विजय जयानंद सूरीश्वर जी की उपस्थिति में संपन्न हुई थी।

"विहार यात्रा में गुरुदेव"



भगवान् महावीर स्वामी जी के 77वें पट्टधर, श्री आत्म-वल्लभ-समुद्र-इंद्रदिन्न सूरीश्वर जी के पट्टप्रभावक गुरुदेव जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी म.सा की निश्रा में सिकंदराबाद (आंध्र प्रदेश) में भव्य संक्रान्ति समारोह - 14 मार्च 2017 को मनाया जाएगा।