* कल्याणक तीर्थोद्धारक, शासन दिवाकर, पंजाब मार्तण्ड, गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्री मद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा, तप केसरी तपस्वी सम्राट आचार्य भगवन श्री मद् विजय वसंत सूरि जी म.सा आदि ठाणा 09 का 18 मार्च को जंडियाला गुरु में प्रवेश होगा। गोडवाड़ भूषण, ज्ञान प्रभाकर,स्वर्ण संत आचार्य श्रीमद् जयानन्द सूरी जी म.स. (भोले बाबा) जैतपुरा के पास हाथलाई में विराजमान है। दार्शनिक ज्योतिष सम्राट आचार्य श्री मद् विजय यशोभद्र सूरीश्वर जी म.सा आदि ठाणा श्री कावरा (छोटा उदयपुर) में विराजमान है।

Sunday, 12 March 2017

जिज्ञासा (1)

"सव्व-पावप्प-णासणो"


🎀 नवकार मन्त्र में कहा गया है कि पांचों परमेष्ठी को वन्दन करने से सभी पापो का नाश होता है। यह विचारणीय बात है कि वहां ऐसा नहीं कहा कि इससे पुण्य का बन्ध होता है!! पाप का नाश हो , यह अलग बात है और पुण्य बंधे - यह अलग बात है। परमात्मा ने पुण्य बाँधने पर इतना बल नहीं दिया बल्कि पाप के त्याग पर अधिक बल दिया है।

🎀 प्पणासणो का मतलब नाश नहीं , बल्कि प्रनाश है। पञ्च परमेष्ठी को वन्दन करने से पापों का नाश नहीं, बल्कि प्रनाश होता है। प्रनाश यानि जड़ मूल से खत्म होना। बीज को उखाड़ने पर वह पुनः उग सकता है लेकिन जड़ से खत्म करने पर नहीं उग सकता। उसी तरह पापों को जड़ मूल से खत्म करने का काम पञ्च परमेष्ठी को किया गया भावपूर्वक वन्दन करता है।


🎀 परमात्मा ने ऐसा नहीं कहा कि दुखों का नाश हो, परमात्मा ने कहा है कि पापों का नाश हो। हम दुखों को खत्म करने का सोचते हैं लेकिन वो दुःख क्यों होते हैं, उनका कारण क्या है, उनके कारण को खत्म करने का नहीं सोचते। पापों का नाश होगा तो दुखों का नाश स्वतः हो जायेगा जबकि दुखों का नाश से पापों का नाश हो जाये, ऐसा ज़रूरी नहीं है। हमारा लक्ष्य पापों का नाश होना चाहिए।


-- पंन्यासप्रवर श्री चिदानंद विजय जी म. के प्रवचनों से संग्रहित। .. 

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