* कल्याणक तीर्थोद्धारक, शासन दिवाकर, पंजाब मार्तण्ड, गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्री मद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा, तप केसरी तपस्वी सम्राट आचार्य भगवन श्री मद् विजय वसंत सूरि जी म.सा आदि ठाणा 09 का 18 मार्च को जंडियाला गुरु में प्रवेश होगा। गोडवाड़ भूषण, ज्ञान प्रभाकर,स्वर्ण संत आचार्य श्रीमद् जयानन्द सूरी जी म.स. (भोले बाबा) जैतपुरा के पास हाथलाई में विराजमान है। दार्शनिक ज्योतिष सम्राट आचार्य श्री मद् विजय यशोभद्र सूरीश्वर जी म.सा आदि ठाणा श्री कावरा (छोटा उदयपुर) में विराजमान है।

Sunday, 12 March 2017

जिज्ञासा (2)

"मौन एकादशी"

प्रवचनकार - शांतिदूत गच्छनायक आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी
एक बार बाइसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ परमात्मा द्वारिका नगरी पधारे। तब वासुदेव श्री कृष्ण भी दर्शन वन्दन हेतु पधारे। श्रीकृष्ण ने प्रश्न किया - भंते ! मैं दिन रात राज कार्यों में व्यस्त रहता हूँ । इसलिए धर्माराधना का विशेष समय नही मिल पाता । क्या पुरे वर्ष में ऐसा कोई दिवस है। जिसपर की गयी कम आराधना भी ज़्यादा फल प्रदान करे ❓

करुणानिधान श्री नेमिनाथ जी ने फ़रमाया कि ✔ मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का दिन बहुत श्रेष्ठ और उत्तम दिन है और उस दिन मौनपूर्वक की गयी धर्माराधना महान् फल देती है । सुव्रत नामक सेठ ने इस मौन एकादशी की विधिपूर्वक आराधना की थी और चरम और परम लक्ष्य - मोक्ष गति को प्राप्त किया था !!!

मौन एकादशी के शुभ दिवस पर

🎊 श्री अरनाथ परमात्मा का दीक्षा कल्याणक
🎊 श्री मल्लिनाथ परमात्मा का जन्म , दीक्षा , केवलज्ञान कल्याणक
🎊 श्री नमिनाथ परमात्मा का केवलज्ञान कल्याणक होता है ।

यही नही , भूतकाल - वर्तमानकाल - भविष्यकाल के जम्बूद्वीप - धातकीखंड और पुष्करार्ध द्वीप के भरत-ऐरावत-महाविदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों को मिलकर दस नही , बीस नही , चालीस नही , सत्तर नही .... डेढ़ सौ ( 1⃣5⃣0⃣ ) कल्याणक मौन एकादशी के दिन होते हैं । इस कारण की गयी थोड़ी सी भी धर्म आराधना अनेक गुणा फल देती है ।

♈वल्लभ ♈ वाटिका के आद्य प्रेरणास्त्रोत पंजाबकेसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म. ने अपने स्तवन में लिखा है -

तीन काल के श्री भगवान् , संख्या में तीस बखान ।
*कल्याणक डेढ़सौ मान , एकादशी महिमा गाने वाले ... *
धन धन नेमिनाथ भगवान् ।।
इस कारण महिमा खास , करे मौन पणे उपवास।
पौषध विधि सह उल्लास , मौन एकादशी करने वाले ...
धन धन नेमिनाथ भगवान ।।

श्री आचारांग सूत्र में फ़रमाया गया है -
" जे सम्मम् ति पासहा ते मोणं ति पासहा "
अर्थात् - जिसने सम्यक्त्व का स्पर्श कर लिया है , जिसका मन सम्यग्दर्शन में रम गया है , उसका मन मौन में रमण करता है !! मौनी मन को मारता नही, मन को साधता है।

वाक्शक्ति के सुनियोजन के अद्वितीय उदाहरण , मौन साधक , विरल विमल विभूति , आचार्यरत्न श्रीमद् विजय समुद्र सूरीश्वर जी म. का जन्म भी मौन एकादशी के पावन पावस दिवस पर हुआ था।

अतः मौन एकादशी को हम भी जितना हो सके पौषध की साधना अथवा जिनेन्द्र पूजा, स्वाध्याय, काउसग्ग, तपस्या आदि करें और विधिपूर्वक मौन एकादशी की आराधना कर मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर हों, यही भावना.....

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