चलो वर्षीतप करें.....
प्रत्येक श्रावक श्राविका को जीवन में भावपूर्वक तपस्या करनी चाहिए। इस वर्ष हम सभी को सामूहिक वर्षीतप करने का आह्वान करते हैं।
अखण्ड प्रेरणा के स्त्रोत
समुदायवडील, वचनसिद्ध, तपसूर्य, तपचक्रवर्ती आचार्य श्रीमद विजय वसंत सूरीश्वर जी म.सा.
गुरुदेव का परिचय
पूज्य गुरुदेव ने मात्र 9 वर्ष की आयु में पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी से दीक्षा ग्रहण की थी। शुरू से ही वे तपस्या में रूचि रखते थे। बीते 49 वर्षों से वो बिना रूकावट वर्षीतप की तपस्या कर रहे हैं। यह वर्तमान में जैनशासन का रिकॉर्ड है। वल्लभ समुदाय के गच्छाधिपति आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी भी फरमाते हैं कि उनकी ऊर्जा का स्रोत भी उनके उपकारी गुरु वसंत की तप तेजस्विता है।
वर्षीतप का रिकॉर्ड
पूज्य गुरुदेव अभी 49वां अखण्ड वर्षीतप कर रहे हैं जिसका इस वर्ष 29 अप्रैल 2017 को हस्तिनापुर की पुण्यभूमि पर पारणा होगा। विविध शारीरिक वेदनाओं के बावजूद भी वे वर्षीतप की तपस्या को चालू रखेंगे एवं इस वर्ष 50वें वर्षीतप की तपस्या प्रारम्भ करेंगे।
वर्षीतप का इतिहास
इस युग के प्रथम मुनि एवं प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी को दीक्षा के एक वर्ष तक उनके अंतराय कर्म के कारण शुद्ध आहार नहीं मिला। उनके 400 दिनों की निराहार तपस्या का पारणा हस्तिनापुर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की भूमि पर श्रेयांस कुमार द्वारा इक्षुरस (गन्ने का रस) से हुआ था। परमात्मा की तपस्या के प्रतिबिम्ब स्वरुप पंचम काल के मानव की शक्ति अनुसार आहार संज्ञा के नाश हेतु एकान्तरे उपवास की वार्षिक तपस्या रूप वर्षीतप किया जाता है।
हमारा कर्तव्य
गुरुदेव तो तप की तेजस्विता से आत्मा को शुद्ध कर रहे हैं। हमें भी उस मार्ग का अनुसरण कर गुरुदेव के पदचिन्हों पर चलते हुए उनकी दीर्घायु की कामना करते हुए आत्मा की शुद्धि के लिए सामूहिक वर्षीतप प्रारम्भ करना चाहिए।
वर्षीतप का प्रारंभ चैत्र वदी 8 तदनुसार 21 मार्च 2017 से होगा। भावना बल से मन को सुदृढ़ कर वर्षीतप चालू करने की भावना रखें।
No comments:
Post a Comment