*आज फाल्गुन सुदी तेरस*
शत्रुंजय गिरिराज पर *छ गाउ यात्रा का महान दिन*
यात्रा कीजे शत्रुंजय भावधारी,
होवे शत्रुंजय द्रव्य भाव अरी ।।
सत्द्रव्य, सत्कुल, सिद्धक्षेत्र, समाधि संघ वखानीय।
दुर्लभ पांच सकार ये जग में भविजन मानिये।।
सिद्धक्षेत्र अन्नति ऋद्धि भरी।। यात्रा०
पात्र पर्वत पुंडरीक अरु प्रथम जिनेसरु।
पर्व पर्युषण अरु परमेष्ठी पावन ईसारु।।
जानो दुर्लभ पांच पकार हरी।। यात्रा०
शिवपुर नदी शत्रुंजय श्रीशांति शत्रुंजय शमी।
दुर्लभ पांच शकार जानी करो धर्म न हो कमी।।
कहे वीर वीर प्रभु हरि मुख्य करी।। यात्रा०
अनन्त हुए श्री सिद्ध यहाँ पर सिद्धगिरी इस कारणे।
विमलगिरीवर विमल करता अग्रपद है तारणे।।
नमिये वारंवार प्रभु के पांव परी।। यात्रा०
तीर्थस्वामी मोक्षगामी आदि जिनवर वंदिये।
आतम लक्ष्मी हर्ष पामी कर्म कंद निकन्दीये।।
होये मुक्ति वल्लभ शिवनारी वरी।। यात्रा०
गिरिराज यात्रा गुरुराज के संघ
*स्वर्णिम स्मृति -2016*
Jai Gurudev
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