गच्छनायक शांतिदूत गुरुदेव की दो वर्षों से गतिमान तपाराधना
अनुमोदना, अनुमोदना
सदा आत्मीय स्नेह - सद्भाव के सागर में आनंदमग्न रहकर शांत प्रशांत भाव से कार्यशील रहकर रत्न त्रय की साधना में जो सतत् संलग्न हैं ऐसे उपकारी गुरुदेव पिछले 2 वर्षों से 10 द्रव्य सहित एकासना तप कर रहे हैं।
एकासना करने में कभी 3 बजे तो कभी 5 भी बज जाते हैं । कभी 30 km तो कभी 35 - 40 km भी विहार आदि करना होता है। किंतु अत्यंत शांत भाव से तपस्या करते हुए गुरुदेव जप - तप में लीन हैं।
ऐसे सौम्यमूर्ति गुरुदेव के चरणों में अनुमोदना पूर्वक कोटि कोटि वन्दन व तपस्या की साता पूछते हैं।
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