* कल्याणक तीर्थोद्धारक, शासन दिवाकर, पंजाब मार्तण्ड, गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्री मद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा, तप केसरी तपस्वी सम्राट आचार्य भगवन श्री मद् विजय वसंत सूरि जी म.सा आदि ठाणा 09 का 18 मार्च को जंडियाला गुरु में प्रवेश होगा। गोडवाड़ भूषण, ज्ञान प्रभाकर,स्वर्ण संत आचार्य श्रीमद् जयानन्द सूरी जी म.स. (भोले बाबा) जैतपुरा के पास हाथलाई में विराजमान है। दार्शनिक ज्योतिष सम्राट आचार्य श्री मद् विजय यशोभद्र सूरीश्वर जी म.सा आदि ठाणा श्री कावरा (छोटा उदयपुर) में विराजमान है।

Friday, 31 March 2017

गुरु आत्म के पाट परंपरा की दो धाराओं का एक साथ प्रवेश

गुरु वल्लभ समुदाय के गच्छनायक एवं आ.श्री लब्धि सूरि समुदाय के प्रभावक आचार्य भगवंतों का औरंगाबाद में होगा एक साथ प्रवेश

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1 अप्रैल शनिवार को औरंगाबाद में गुरु आत्म की दो पाट परंपरा के प्रभावक आचार्य भगवंतों का एक साथ मंगल प्रवेश का दृश्य संयोजित होने जा रहा है।

श्री आत्म कमल लब्धि विक्रम पाट परंपरा के शासन प्रभावक परम पूज्य आ.भ. श्रीमद् विजय यशोवर्म सूरि जी म.सा आदि श्रमण - श्रमणी ठाणा - 32 एवं

भ. श्री महावीर स्वामी के 77वें व श्री आत्म वल्लभ समुद्र इंद्र पाट परंपरा* के क्रमिक पट्टधर, गुरु वल्लभ समुदाय के गच्छाधिपति शांतिदूत आ.भ.श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी म.सा. आदि ठाणा का औरंगाबाद नगर में एक साथ प्रवेश होगा।

गुरु आत्म की इन दो पाट परंपरा के प्रभावक पूज्यों के एक साथ प्रवेश की तैयारियों में औरंगाबाद संघ दिलो जान से जुटा हुआ है।

आ.श्री यशोवर्म सूरि जी म.सा मालेगांव की और से विहार करते हुए तथा ग. आ.श्री नित्यानंद सूरि जी म. सा आदि श्रमण श्रमणी ठाणा - 11 हैदराबाद की और से विहार करते हुए 1 अप्रैल को औरंगाबाद पहुँच रहें हैं।

ज्ञात रहे कि गुरु आत्म के कालधर्म के पश्चात् अनेक पाट परंपरा प्रचलित हुई और सभी अपने मूल आत्माराम जी से जुड़ कर गुरु परंपरा का निर्वाह कर शासन की प्रभावना कर रहे हैं।

पालीताना आयोजित तपागच्छिय श्रमण सम्मेलन के बाद यहां पर एक वर्ष के बाद दोनों धाराओं का प्रेमपूर्ण मिलन होगा।

सब का मूल एक है।
सबकी आत्मा आत्म है।

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