* कल्याणक तीर्थोद्धारक, शासन दिवाकर, पंजाब मार्तण्ड, गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्री मद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा, तप केसरी तपस्वी सम्राट आचार्य भगवन श्री मद् विजय वसंत सूरि जी म.सा आदि ठाणा 09 का 18 मार्च को जंडियाला गुरु में प्रवेश होगा। गोडवाड़ भूषण, ज्ञान प्रभाकर,स्वर्ण संत आचार्य श्रीमद् जयानन्द सूरी जी म.स. (भोले बाबा) जैतपुरा के पास हाथलाई में विराजमान है। दार्शनिक ज्योतिष सम्राट आचार्य श्री मद् विजय यशोभद्र सूरीश्वर जी म.सा आदि ठाणा श्री कावरा (छोटा उदयपुर) में विराजमान है।

Wednesday, 29 March 2017

प्रथम बार महाराष्ट्र के वाहे गांव में जैन संतों का हुआ आगमन

सम्पूर्ण देश में विचरण कर जिनशासन की अपूर्व सेवा और प्रभावना करने वाले भगवान महावीर की अक्षुण्ण पाट परंपरा के 77वें पट्टधर, पंजाब केसरी गुरु वल्लभ के समुदाय के वर्तमान गच्छनायक शांतिदूत आचार्य देव श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी म.साआदि श्रमण श्रमणी वृन्द महाराष्ट्र में औरंगाबाद की और विहार में आगे बढ़ रहे हैं। 28 मार्च को गुरुदेव वाहे गाँव पधारे। गच्छनायक गुरुदेव के शिष्य मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी म. के शिष्य बालमुनि श्री मोक्षेश विजय जी म. का ये सांसारिक पैतृक गांव हैं। इस गाँव में आज तक किसी जैन संतों का पधारना नही हुआ।
 किंतु आज गांववासी उस बालमुनि को देखने के लिए उत्सुक थे जिसका सम्बन्ध इस भूमि से जुड़ा हुआ था। बालमुनि और उनके सांसारिक पारिवारिकजन भी अत्यंत हर्षित थे क्योंकि गुड़ी पड़वा यानि नव वर्ष के दिन अपने दादा गुरु जी, गुरु जी और अन्य साधु साध्वीवृन्द सहित दीक्षा के बाद प्रथम बार पैतृक गांव में पधारना हो रहा था।
गाँव में रहने वाले सभी धर्म जाति के लोग जैन संतों को निहारने और स्वागत करने के लिए सुबह से ही अपलक पांवड़े बिछा कर प्रतीक्षा कर रहे थे।
गुरुदेव ने कहा कि धन्य हुआ ये गांव और यहां की भूमि जहाँ पर आज संत पधारे हैं। जहां संतो ने चरण न पड़ें वो स्थान श्मशान के समान हैं और जिस भूमि पर संत पधारें वो भूमि पवित्र तीर्थ बन जाती है।
गुरुदेव ने गांव वासियों को शाकाहार अपनाने और मद्यपान, व्यसन आदि त्याग करने की प्रेरणा दी। गुरुदेव ने कहा कि बालमुनि का अपने सांसारिक पैतृक गांव में अनायास आगमन एक संयोग ही है। परिवारिकजनों ने पारंपरिक रीति से संतों का स्वागत किया और काम्बली ओढ़ाई। पगलिया करवाया।

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