गुरु आत्म की दो पाट परम्परा के पूज्यों का अविस्मरणीय मिलन
औरंगाबाद की धन्यधरा पर गुरु आत्म कमल लब्धि विक्रम परम्परा को समर्पित आ.भ.श्रीमद् विजय यशोवर्म सूरि जी म.आदि ठाणा -32 तथा
गुरु आत्म वल्लभ समुद्र इंद्रदिन्न के क्रमिक पट्टधर, गुरु वल्लभ समुदाय के गच्छनायक आ.भ.श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी म. आदि ठाणा-11 का 1 अप्रैल 2017 को सुबह 7:30बजे निराला बाजार से प्रवेश प्रारम्भ हुआ।
श्री गोड़ी जी पार्श्वनाथ जिनमंदिर में चतुर्विध श्रीसंघ ने दर्शन वन्दन किये। सामूहिक भक्तामर तथा शक्रस्तव का पाठ हुआ। साधारण भवन में मंगल प्रवचन हुआ।
मुनि श्री मोक्षानन्द विजय जी म.सा ने फ़रमाया कि भले हम पीली और सफेद चादर में दिखाई दे रहे हैं, किंतु हमारी गुरु परम्परा एक है। हम गुरु आत्म के परिवार के सदस्य हैं। धाराएं दो हैं किंतु मूल एक है।
गुरु आत्म के बाद उनके परिवार में समय समय पर कई समुदाय बने, परंतु सभी की आत्मा गुरु आत्म है।
एक वृक्ष की अनेक शाखाएं हैं और सभी मूल से ही जुडी होती हैं । मूल पर एक का अधिकार कभी किसी का नही हुआ न ही हो सकता है।
आ.श्री यशोवर्म सूरि जी म.सा ने फ़रमाया कि हमारी गुरु परंपरा एक है, आज समय एक होने का है। भ. महावीर के परिवार में सभी सम्प्रदाय अपनी अपनी परंपरा में रह कर महावीर के पथ पर चलें न कि दूसरों के राह में पत्थर फेंक कर अपनी तुच्छ मनोवृत्ति प्रस्तुत करें।
ग. आ. श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा ने फ़रमाया कि आज पूज्य श्री का 52 वर्षों बाद और मेरा 30 वर्षों बाद औरंगाबाद आना हुआ है । गत वर्ष पालीताना के श्रमण सम्मेलन में हमारा मिलना हुआ । आज पुनः एक वर्ष बाद यहां मिले । प्रभु महावीर के मार्ग पर वोही चल सकता है जो दूसरों को साथ लेकर चल सकता है। मात्र अपने सम्प्रदाय, गच्छ या समुदाय के लिए जीने वाले कभी महावीर के मार्ग को पा नही सकते।
संघ की और से काम्बली ओढ़ाई गयी।
चारों सम्प्रदाओं के पदाधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे और प्रभु महावीर जन्म कल्याणक की निमंत्रण पत्रिका का विमोचन किया गया।
बाल मुनि श्री मोक्षेश विजय जी म. सा के दीक्षा पश्चात प्रथम बार अपने सांसारिक माता पिता के घर पधारने का प्रसंग भी था तो उनकी और से भी सकल संघ को शाम को वालुज की और उनके निवास स्थान पर आने की विनती की गई।
सकल संघ के अल्पाहार का लाभ गुरुभक्त चैंपियन परिवार ने लिया। जिन्होंने 30 वर्ष पहले गुरु इंद्र की निश्रा में अंतरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ का ऐतिहासिक छ री पालित यात्रा संघ निकाला था।
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