* कल्याणक तीर्थोद्धारक, शासन दिवाकर, पंजाब मार्तण्ड, गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्री मद् विजय नित्यानंद सूरि जी म.सा, तप केसरी तपस्वी सम्राट आचार्य भगवन श्री मद् विजय वसंत सूरि जी म.सा आदि ठाणा 09 का 18 मार्च को जंडियाला गुरु में प्रवेश होगा। गोडवाड़ भूषण, ज्ञान प्रभाकर,स्वर्ण संत आचार्य श्रीमद् जयानन्द सूरी जी म.स. (भोले बाबा) जैतपुरा के पास हाथलाई में विराजमान है। दार्शनिक ज्योतिष सम्राट आचार्य श्री मद् विजय यशोभद्र सूरीश्वर जी म.सा आदि ठाणा श्री कावरा (छोटा उदयपुर) में विराजमान है।

Saturday, 25 February 2017

Vallabh Vatika Chennai Highlights

श्री सुविधिनाथ जिनमंदिर पेरंबूर, चेन्नई
अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव
13 से 18 फरवरी 2017

पंजाब केसरी आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि जी के समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद्  विजय नित्यानंद सूरि जी महाराज साहिब आदि ठाणा का 13 फरवरी का पेरंबूर में श्री सुविधिनाथ जिनमंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव निमित्त भव्य प्रवेश हुआ।

शाम को च्यवन कल्याणक का विधान हुआ। 14,15 को जन्म कल्याणक से लेकर नवलोकांतिक देवों द्वारा प्रभु को दीक्षा की विनंती तक का मांत्रिक विधान और स्टेज prog सम्पन्न हुआ।

16 को प्रभु के दिक्षा कल्याणक का वरघोड़ा सम्पन्न हुआ। मध्य रात्रि में अधिवासना अंजन विधान हुआ। अंजन के तुरंत बाद मूलनायक प्रभु की प्रतिमा से अमिझरा प्रारम्भ हुआ।

 प्रातः शुभ मुहूर्त में ॐ पुण्याहं पुण्याहं की मन्त्र ध्वनियों में प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई।

चेन्नई महानगरी में 100 से ऊपर जिनालय है किंतु श्री सुविधिनाथ परमात्मा का ये प्रथम जिनालय बना है।
4 महीने में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।

प्रतिष्ठा विधान हेतु विधिकार जैन शासन गौरव श्री सुरेंद्र गुरु जी बेंगलोर से तथा संगीतकार मेहुल भाई रूपड़ा जालना से पधारे हुए थे ।

गुरुदेव की प्रेरणा से
श्री सुविधि वल्लभ युवा मंडल तथा
श्री सुविधि वल्लभ महिला मंडल की स्थापना की गयी।
संघ अध्यक्ष श्री कन्हैया लाल जी पारेख ने गुरुदेव की प्रेरणा से चेन्नई विजयवाड़ा हाई वे पर श्री सुविधि वल्लभ विहार धाम हेतु 3 ग्राउंड जमीन समर्पित की।

प्रतिष्ठा के बाद गुरुदेव को काम्बली ओढ़ाई गयी।

माँगलिक के बाद गुरुदेव नुंगमबाकम की और विजय मुहूर्त में वहां प्रतिष्ठा सम्पन्न करवाने हेतु विहार कर गए।

उल्लेखनीय है कि चेन्नई में 100 मंदिरों को आगे 108 की कड़ी तक पहुँचाने का सौभाग्य शांतिदूत गच्छनायक गुरुदेव को प्राप्त हुआ है।





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