*आचार्य पदवी प्रदान रत्नत्रयी महोत्सव*
_द्वितीय दिवस : 28 मई 2017_
शांतिदूत गच्छनायक आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी आदि श्रमण श्रमणी वृन्द की निश्रा में *गुरुदेव श्रीजी के प्रथम शिष्य तत्त्वचिंतक पंन्यासप्रवर श्री चिदानंद विजय जी म.* की आचार्य पदवी निमित्त श्री विजय वल्लभ साधना केंद्र, जेतपुरा (राज.) में रत्नत्रयी त्रिदिवसीय महोत्सव के अंतर्गत आज
प्रातः काल मूलनायक श्री सम्भवनाथ परमात्मा का भव्य केसर अभिषेक आयोजित हुआ। प्रभुभक्ति में संलग्न होकर श्रावक श्राविकाओं ने अपनी प्रसन्नता अभिव्यक्त की।
दोपहर में गणधर श्री जी गौतम स्वामी महापूजन का आयोजन किया गया। विधिकारक श्री कल्पेश भाई ने भक्तियोग में सभी को भाव विभोर करते हुए सूरिमंत्र में विशेष साध्य - श्री गौतम स्वामी जी की महिमा का वर्णन किया।
शाम को मेहंदी का कार्यक्रम हुआ। श्राविका वर्ग ने प्रभु भक्ति, गुरुभक्ति का अपूर्व रंग जमाते हुए संध्या को यादगार शाम में परिवर्तित हो गया। सभी के पुरजोर आग्रह से गच्छाधिपति गुरुदेव और पंन्यास गुरुदेव मांगलिक देने हेतु पधारे। सभी जनों के मार्मिक शब्दों से समां भावुक हो गया। पंन्यास जी ने आंखे झुकाकर मौनपूर्वक समभाव से सभी के अभिवादन को स्वीकार किया।
शिवपुरी, दिल्ली, लुधियाना, जयपुर, अम्बाला, मुम्बई, फालना, रानी, खौड़, पाली आदि अनेक शहरों से गुरुभक्त पधारे। पंन्यासप्रवर श्री चिदानंद विजय जी के आचार्य पदवी पर आरूढ़ होने से भक्तों में अत्यंत हर्षोल्लास था।
कल सुबह 8:30 बजे से सुविशाल जनमेदिनी की साक्षी में आचार्य पदवी प्रदान का ऐतिहासिक महोत्सव आयोजित होगा।
*आचार्य पदवी प्रदान विधि-आचार के अंतर्गत विशेष बातें*
• वडील गुरुभगवंत नूतन आचार्य को महाप्रभावक _सूरिमंत्र_ प्रदान करते हैं जिसकी साधना नूतन आचार्य भगवंत करते हैं
• इस अवसर पर 700 गाथायुक्त श्री नंदिसूत्र आगम का सम्पूर्ण वांचन वडील गुरुभगवंत अपने श्रीमुख से करते हैं।
• परंपरा अनुसार आचार्य पदवी देने वाले वडील गुरु भगवंत भी नूतन आचार्य को वन्दन करते हैं।
• इस अवसर पर 700 गाथायुक्त श्री नंदिसूत्र आगम का सम्पूर्ण वांचन वडील गुरुभगवंत अपने श्रीमुख से करते हैं।
• परंपरा अनुसार आचार्य पदवी देने वाले वडील गुरु भगवंत भी नूतन आचार्य को वन्दन करते हैं।
।। णमो आयरियाणं ।।