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📝Full News By Vallabh Vatika*
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कच्छ के आर्थिक पाटनगर गांधीधाम में
गांधीधाम स्थापना के दिन *भव्य संक्रांति समारोह तथा श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ चोक का लोकार्पण
कच्छ की धन्यधरा पर पंजाब केसरी आचार्य श्रीमद् विजय *वल्लभ सूरि समुदाय* के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् *विजय नित्यानन्द सूरीश्वर जी* म. सा आदि साधु साध्वीवृन्द के पदार्पण से ही धर्म की गंगा प्रवाहित हो रही है।

2 फरवरी को पार्श्व वल्लभ इन्द्र धाम से शाम को विहार करते हुए देशलपुर में गुरु भगवंतों की स्थिरता हेतु नूतन बनने वाले उपाश्रय हेतु भूमि पर वासक्षेप डाल कर गुरुदेव ने मंगल पाठ सुनाया ओर आशीर्वाद दिया। रात्रि स्थिरता *सामत्रा गांव* में किया। 11 वर्ष पहले यहां पर श्री कुंथुनाथ भगवान की प्रतिष्ठा गच्छाधिपति गुरुदेव ने ही सम्पन्न की थी। 3 फरवरी को *मानकुवा गांव में अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव* निमित्त भव्य प्रवेश हुआ । 7 फरवरी को ऐतिहासिक रूप से प्रभु प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई और शाम को गुरुदेव विहार कर भुज में पधारे। अनेक गुरुभक्तों के घर पर चरण डालते हुए गुरुदेव वल्लभ विविध लक्षी संकुल में पधारे जहां पर बहुत बड़ी संख्या में भाविक लोग प्रवचन श्रवण हेतु उपस्थित थे । रात्रि 11 बजे तक प्रवचन* की अमिधारा में सभी ने आत्म स्नान किया। गुरुदेव ने सभी को गुरु वल्लभ के साधर्मिक उत्थान और संस्कार मुलक शिक्षण के क्षेत्र में कुछ ठोस कार्य करने हेतु प्रेरित किया। अगले दिन 8 फरवरी को सुबह भुज से विहार किया।
भुज से 8 फरवरी को सुबह विहार करते हुए गुरुदेव के हृदय में कच्छ के सुप्रसिद्ध *श्री भद्रेश्वर महातीर्थ* की यात्रा करने का प्रबल भाव था। किंतु विहार यात्रा में कुछ किलोमीटर ओर बढ़ रहे थे। आखिर निर्णय हुआ कि भले विहार थोड़ा अधिक होगा परंतु भद्रेश्वर होकर ही गांधीधाम जाएंगे।

8 फरवरी को भुज से विहार करते हुए गुरुदेव सबसे पहले *माधापर संघ* में पधारे। संघ ने भव्य प्रवेश करवाया और प्रवचन लाभ लिया। वहां से गुरुदेव *वर्धमान नगर भुजोडी* पधारे। वहां पर भी भव्य प्रवेश हुआ।
वहां विराजित अंचलगच्छ के मुनि श्री कंचनसागर जी म. सा ओर स्थानकवासी परंपरा की महासती जी ने गुरुदेव के दर्शन वन्दन किये। वहां पर *श्री विमलनाथ भगवान* के जिनालय परिसर में ही *चार नूतन देहरिओं के साथ की भूमि पर स्नात्र हाल, *श्री घण्टाकर्ण देव मन्दिर* के *भूमिपूजन-खात* विधान हुए। जिनमंदिर के सामने की विशाल भूमि पर *श्री आत्म-वल्लभ जैन आराधना भवन* का भूमिपूजन-खात मुहूर्त सम्पन्न हुआ। बाद में धर्मसभा हुई।
9 फरवरी को सुबह वहां से विहार कर गुरुदेव भुज- भचाऊ मुख्य मार्ग पर *सिटी स्क्वायर टाउनशिप* में निर्मित तीर्थ *संकुल* में पधारे। वहां भी भव्य स्वागत सामैया हुआ। वहां पर 11 वर्ष पूर्व पूज्य गच्छाधिपति जी की निश्रा में भूमिपूजन हुआ था और कुछ ही वर्षों में तीर्थ निर्माण पूर्ण हुआ । जिसमें जिनालय, *श्री घण्टाकर्ण वीर देव* और कच्छ वागड़ के अनंत उपकारी आ.श्रीमद् *विजय कलापूर्ण सूरि जी* म.सा के गुरूमन्दिर की प्रतिष्ठा सम्पन्न हो चुकी है।
गुरु वल्लभ के गुरूमन्दिर की प्रतिष्ठा हेतु गुरुदेव का इंतजार था तो आज चतुर्विध श्रीसंघ की उपस्थिति में *गुरु वल्लभ की मूर्ति की भव्य प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई।* वहां से दोपहर में विहार कर गुरुदेव भद्रेश्वर तीर्थ की ओर बढ़े।
10 फरवरी को सुबह *भद्रेश्वर जी पहुंचें* तो वहां भी स्वागत सामैया हुआ। परम गुरुभक्त श्री नवीन भाई लालन एक बस लेकर पधारे हुए थे। उन्होंने गुरुदेव के सान्निध्य में यहां *श्री पार्श्वनाथ पंच कल्याणक पूजा* का आयोजन किया। तीर्थ दर्शन कर सभी को खूब आनंद की अनुभूति हुई।
*ज्ञात रहे यहां पर प्रभु पार्श्व के समय श्री कपिल केवली ने प्रभु पार्श्व की जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की थी वो इस तीर्थ में अभी भी विराजमान है। मूलनायक श्री महावीर स्वामी भगवान की भी प्रभाविक प्रतिमा है। 2001 में आये भूकम्प के 4 वर्ष बाद सम्पूर्ण जिनमंदिर नया बनाया गया। पुराना जिनमंदिर जो कि भूकम्प से क्षतिग्रस्त हुआ था उसको उतारते समय जमीन में से सैकड़ों खंडित प्रतिमाएं प्राप्त हुई जो कि कभी मुसलमानी आक्रमण के शिकार हुई थी। गौरवशाली जैन युग की उन हजारों वर्ष प्राचीन खंडित प्रतिमाओं के दर्शन कर मन व्यथित सा हुआ। फिर गुरुदेव यहां के सेठ जगड़ूशाह के पुराने सात मंजिला महल को देखने गए जो कि भूमि में दब चुका था और खंडहर ही शेष है।*
वहां से शाम को विहार करके अगले दिन सुबह *आदिपुर गांव* में पहुंचें। जहां पर *माकपट उद्धारिका साध्वी समता श्री जी म.सा* प्रवर्तिनी साध्वी जगत श्री जी म.सा प्रवर्तिनी साध्वी हेमलता श्री जी म.सा तथा साध्वी हितप्रज्ञाश्री जी म.का सांसारिक परिवार रहता है। भले ये जाति से आहिर हैं किंतु कर्मणा तो पक्के जैन हैं। *उन्होंने बताया कि खेती के समय हम साध्वी समता श्री जी का नाम लेकर एक नारियल चढ़ाते हैं तो हमारी फसल को कीड़ा नही लगता। हमे कीटनाशक नही छिड़कना पड़ता । इतनी कृपा हम पर गुरु वल्लभ ओर साध्वी जी की है।*
वहां से गुरुदेव *नाकोड़ा सोसाइटी* में पधारे। संघ ने स्वागत किया, प्रवचन हुआ। संघ ने कहा कि भूकम्प के समय जिनके घर पूरे टूट गए उन सभी के लिए ये नगर बसाया गया। वहां से गुरुदेव गांधीधाम के *ओसलो* क्षेत्र में पधारे ओर रात्रि स्थिरता की।
12 फरवरी को सुबह सकल संघ गुरुदेव के नगर प्रवेश के लिए तैयार था। खूब भावोल्लास पूर्वक प्रवेश सम्पन्न हुआ। सकल संघ ने नवकारसी की। बाद में *गच्छाधिपति गुरुदेव की प्रेरणा से निर्मित मंगल कलश, अष्ट मंगल और जैन चिन्ह युक्त चोक का चतुर्विध श्रीसंघ के साथ गुरुदेव की निश्रा में श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ चोक के नाम के रूप में लोकार्पण हुआ।* लोकार्पण विधि *महापौर श्रीमती मालती बेन माहेश्वरी ओर उपमेयर श्रीमती गीता बेन गणत्रा, श्री कान जी भाई भार्या के करकमलों से सम्पन्न करवाई गई।*
वहां से सभी संक्रांति समारोह स्थल के विशाल मण्डप में पहुंचें। गुरु वल्लभ ओर गुरु नित्यानन्द के बेनरों से मण्डप को सजाया गया था। गुरुवंदन ओर मंगलाचरण से समारोह का शुभारंभ हुआ। प्रातः कालीन दोनो संक्रांति भजन लुधियाना जैन *संक्रांति मण्डल के संस्थापक प्रधान श्री प्रवीण जैन* ने गाए। इस अवसर पर गुजरात के *मंत्री श्री वासन भाई आहीर, सांसद श्री विनोद भाई चावड़ा, BJP के जिलाध्यक्ष श्री केशुभाई पटेल, कच्छ जिला पंचायत प्रमुख श्रीमती कौशल्या बेन माधापरिया भुज की विधायक श्रीमती नीमा बेन आचार्य* आदि अनेक राजनीतिक अधिकारी भी उपस्थित हुए।
यहां के सातों संघों के संयुक्त संगठन बृहद गांधीधाम जैन समाज के प्रमुख श्री चंपा लाल जी पारेख ने गुरु भगवंतों व सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में गुरुदेव का आशीष प्राप्त करने हेतु अंचलगच्छ के अग्रणी श्री मितेश भाई धर्मशी
खरतरगच्छ के श्री घेवरचंद जी नाहटा, स्थानकवासी समाज के श्री भीखचन्द जी श्री अमर चन्द जी, श्री रोहित भाई शाह, तेरापंथ समाज के श्री नरेन्द्र भाई संघवी भी उपस्थित थे।
तपगच्छ जैन संघ द्वारा आयोजित इस समारोह में भुज ओर अन्य क्षेत्रों से 6 बसें व कई गाड़िएं भरकर पहुंचीं। देशभर से भी बड़ी संख्या में गुरूभक्तगण पहुंचें। महिला मंडल व संगीतकार के भजनों से महोल भक्तिमय हुआ। सभी के बहुमान किये गए। *मंत्री महोदय ने गुजराती, मारवाड़ी, इंग्लिश ओर हिंदी सभी भाषाओं में अपना वक्तव्य दिया और कहा जैन धर्म और सन्तों के तप त्याग से ही जगत का उद्धार हो रहा है।*
मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी म.सा तथा गच्छाधिपति गुरुदेव के प्रवचन का रसपान करते हुए जनसमूह समय का भी भान भूल गया। 12 बजे से पहले ही जनता उठ उठ निकलने लगती है किंतु स्थानीय लोगों तो अति आश्चर्य हुआ कि जब संक्रांति कार्यक्रम में दोपहर 3 बजे तक किसी ने उठने का नाम नही लिया।
*शासन सुरभि तथा श्रावकरत्न पदवी से किया अलंकृत*
कच्छ जैसे दूरगामी क्षेत्र में जैन शासन की प्रभावना करने वाली पंजाब केसरी आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि समुदाय की पुण्यमूर्ति, माकपट उद्धारिका साध्वी समता - जगत - हेमलता श्री जी म.की शिष्या *व्यवहारदक्षा, कार्य कुशला साध्वी प्रज्ञलताश्री जी म.सा* को गच्छाधिपति आ.श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी म.सा ने गांधीधाम में संक्रांति की विशाल सभा मे *शासन सुरभि* के पद से अलंकृत किया।
साथ ही श्री पार्श्व वल्लभ इन्द्र धाम के प्रमुख, सूझ बूझ के धनी, धैर्य और श्रम की मूर्ति, *माकपट समाज के गौरव श्री वीरसेन भाई को श्रावकरत्न पद से अलंकृत किया।* सकल चतुर्विध श्रीसंघ ने गुरुदेव द्वारा प्रदत्त इस शुभ अलंकरण घोषणा का अनुमोदन किया। गांधीधाम जैन संघ, माकपट जैन समाज, पंजाब के गुरुभक्तों की ओर से श्रावकरत्न श्री वीरसेन भाई का सम्मान किया गया और गच्छाधिपति जी ने साध्वी जी को काम्बली प्रेषित की।
गुरुदेव की ओर से *मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी* ने कहा कि गांधीधाम में इस वर्ष सामूहिक वर्षीतप की आराधना हो इस पर संघ विचार करे । संघ ने भी गुरुदेव की इस भावना को पूरा करने का आश्वासन दिया।
संक्रांति की अविस्मरणीय छाप सभी के हृदय पर अंकित हो गयी। गुरु वल्लभ के जीवन से सभी प्रभावित हुए। अंत मे संक्रांति स्तोत्र हुए और संक्रांति नाम का प्रकाश किया गया।
शाम को गुरुदेव ने गांधीधाम से राजस्थान हेतु विहार किया।